14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा, जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है। यह दिन पूरे भारत में विभिन्न नामों और परंपराओं के साथ उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।

मकर संक्रांति के अन्य नाम और संबंधित त्योहार:

  • पोंगल: तमिलनाडु में मनाया जाने वाला चार दिवसीय फसल उत्सव, जो 14 जनवरी से 17 जनवरी 2025 तक आयोजित होगा।
  • लोहड़ी: पंजाब और हरियाणा में 13 जनवरी 2025 को मनाया जाने वाला पर्व, जो नई फसल की कटाई का प्रतीक है।
  • उत्तरायण: गुजरात में मकर संक्रांति के अवसर पर मनाया जाने वाला पतंग उत्सव।

धार्मिक महत्व:

मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य और सूर्य उपासना का विशेष महत्व है। इस दिन से खरमास समाप्त होकर शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।

सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का समय:

14 जनवरी 2025 को सुबह 9:03 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा।

प्रश्न: मकर संक्रांति 2025 में कब है?

उत्तर: 14 जनवरी 2025 को।

प्रश्न: मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?

उत्तर: मकर संक्रांति उस दिन मनाई जाती है जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे ‘संक्रांति’ कहा जाता है। यह पर्व सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक है, जिससे दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। यह समय फसलों की कटाई का भी होता है, इसलिए इसे फसल उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।

प्रश्न: मकर संक्रांति 2025 में सूर्य मकर राशि में कब प्रवेश करेगा?

उत्तर: 14 जनवरी 2025 को सुबह 9:03 बजे।

प्रश्न: मकर संक्रांति के दिन कौन-कौन से त्योहार मनाए जाते हैं?

उत्तर: मकर संक्रांति के अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे:

  • पोंगल: तमिलनाडु में मनाया जाने वाला चार दिवसीय फसल उत्सव, जो सूर्य देवता को समर्पित होता है।
  • उत्तरायण: गुजरात में मनाया जाने वाला पतंग उत्सव, जो मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित होता है।
  • लोहड़ी: पंजाब में मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर मनाया जाने वाला पर्व, जिसमें अग्नि जलाकर तिल, गुड़, मूंगफली आदि की आहुति दी जाती है।

प्रश्न: मकर संक्रांति के दिन कौन से धार्मिक कार्य किए जाते हैं?

उत्तर: इस दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्य की उपासना करने का विशेष महत्व है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही एक माह से चल रहे खरमास समाप्त हो जाते हैं और विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, सगाई जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।

प्रश्न: मकर संक्रांति के दिन कौन से खाद्य पदार्थों का विशेष महत्व है?

उत्तर: इस दिन तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों का विशेष महत्व होता है। उत्तर प्रदेश और बिहार में खिचड़ी का विशेष महत्व है, इसलिए इसे ‘खिचड़ी पर्व’ भी कहा जाता है।

प्रश्न: मकर संक्रांति के दिन सूर्य की पूजा क्यों की जाती है?

उत्तर: मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं, जो मकर राशि के स्वामी हैं। इसलिए, इस दिन सूर्य की उपासना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

प्रश्न: मकर संक्रांति के दिन दान का क्या महत्व है?

उत्तर: मकर संक्रांति पर पवित्र नदी में स्नान और दान का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन दान करने से कई गुना पुण्य की प्राप्ति होती है।

प्रश्न: मकर संक्रांति के दिन कौन-कौन से मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं?

उत्तर: सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही एक माह से चल रहे खरमास समाप्त हो जाते हैं और विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, सगाई जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।

प्रश्न: मकर संक्रांति के दिन कौन से खेल या गतिविधियाँ की जाती हैं?

उत्तर: गुजरात में इस दिन पतंग उड़ाने का रिवाज है, जिसे ‘उत्तरायण’ कहा जाता है। लोग छतों पर इकट्ठा होकर पतंगबाजी का आनंद लेते हैं।

प्रश्न: मकर संक्रांति के दिन कौन से क्षेत्रीय त्योहार मनाए जाते हैं?

उत्तर: मकर संक्रांति के अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे:

  • पोंगल: तमिलनाडु में मनाया जाने वाला चार दिवसीय फसल उत्सव, जो सूर्य देवता को समर्पित होता है।
  • उत्तरायण: गुजरात में मनाया जाने वाला पतंग उत्सव, जो मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित होता है।
  • लोहड़ी: पंजाब में मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर मनाया जाने वाला पर्व, जिसमें अग्नि जलाकर तिल, गुड़, मूंगफली आदि की आहुति दी जाती है।

प्रश्न: मकर संक्रांति के दिन सूर्य का उत्तरायण होना क्या दर्शाता है?

उत्तर: मकर संक्रांति के दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं, जिससे दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। यह समय फसलों की कटाई का भी होता है, इसलिए इसे फसल उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है

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