जितिया व्रत को ही जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से जाना जाता है। यह व्रत संतान की लम्बी आयु, संतान के जीवन किम खुशहाली और सुख समृद्धि के लिए किया जाता है। साथ ही ऐसा माना जाता है की जिन महिलाओं को संतान सुख प्राप्त नहीं होता है वो महिलाएं यदि पूरे श्रद्धा भाव से इस व्रत को करती है तो इससे उन्हें संतान प्राप्ति की इच्छा को पूरा करने में मदद मिलती है। कई राज्यों में इसे ‘जिउतिया’ के नाम से भी जाना जाता है। ज्यादातर यह व्रत उत्तर प्रदेश, बिहार,झारखंड और पश्चिम बंगाल में खूब अच्छे से मनाया जाता है। तो आइये अब आगे जानते हैं की किस तरीके से यह व्रत रखा जाता है और इस व्रत को रखने के क्या फायदे होते हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, जितिया व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से शुरू होता है और उसके बाद नवमी तिथि को इसका समापन होता है ऐसे में इस बार यह उपवास 18 सितंबर की रात से शुरू होगा और 19 सितम्बर तक चलेगा और उसके बाद 19 सितम्बर को ही इसका पारण किया जायेगा।
जो कोई भी जितिया व्रत करता है तो उसके लिए यह व्रत 17 सितंबर को शुरू हो जायेगा क्योंकि सही मायने में यह व्रत सप्तमी तिथि को ही शुरू हो जाती है जो की 17 सितम्बर को है। और जितिया व्रत की शुरुआत नहाय खाय के साथ की जायेगी यह व्रत निर्जला रखा जाता है। उसके बाद 18 सितंबर को जितिया व्रत रखा जाएगा यह व्रत निर्जला रखा जाता है।
शुभ मुहूर्त की यदि बात की जाये तो ज्योतिष शास्त्र के हिसाब से 17 सितंबर को दोपहर 2:14 PM पर अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी और 18 सितंबर दोपहर 4:32 PM पर अष्टमी तिथि समाप्त हो जाएगी। यानी जितिया का व्रत 18 सितंबर 2022 को रखा जाएगा और उसके बाद इस व्रत का पारण 19 सितंबर 2022 को किया जाएगा और 19 सितंबर की सुबह 6:10 AM पर सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करने का शुभ मुहूर्त है।
तो यह है जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 कब है, कैसे रखा जाता है, इस व्रत को रखने के कौन- कौन से फायदे मिलते हैं उससे जुडी सम्पूर्ण जानकारी। यदि आप भी यह व्रत रखते हैं तो आप भी इस व्रत को रख सकते हैं।
Jitiya Fasting 2022