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कब है जितिया व्रत (जीवित्पुत्रिका व्रत)? फायदे और कैसे करें यह व्रत

जितिया व्रत को ही जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से जाना जाता है। यह व्रत संतान की लम्बी आयु, संतान के जीवन किम खुशहाली और सुख समृद्धि के लिए किया जाता है। साथ ही ऐसा माना जाता है की जिन महिलाओं को संतान सुख प्राप्त नहीं होता है वो महिलाएं यदि पूरे श्रद्धा भाव से इस व्रत को करती है तो इससे उन्हें संतान प्राप्ति की इच्छा को पूरा करने में मदद मिलती है। कई राज्यों में इसे ‘जिउतिया’ के नाम से भी जाना जाता है। ज्यादातर यह व्रत उत्तर प्रदेश, बिहार,झारखंड और पश्चिम बंगाल में खूब अच्छे से मनाया जाता है। तो आइये अब आगे जानते हैं की किस तरीके से यह व्रत रखा जाता है और इस व्रत को रखने के क्या फायदे होते हैं।

साल 2022 में कब है जितिया व्रत?

हिन्दू पंचांग के अनुसार, जितिया व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से शुरू होता है और उसके बाद नवमी तिथि को इसका समापन होता है ऐसे में इस बार यह उपवास 18 सितंबर की रात से शुरू होगा और 19 सितम्बर तक चलेगा और उसके बाद 19 सितम्बर को ही इसका पारण किया जायेगा।

जीवित्पुत्रिका व्रत का शुभ मुहूर्त

जो कोई भी जितिया व्रत करता है तो उसके लिए यह व्रत 17 सितंबर को शुरू हो जायेगा क्योंकि सही मायने में यह व्रत सप्तमी तिथि को ही शुरू हो जाती है जो की 17 सितम्बर को है। और जितिया व्रत की शुरुआत नहाय खाय के साथ की जायेगी यह व्रत निर्जला रखा जाता है। उसके बाद 18 सितंबर को जितिया व्रत रखा जाएगा यह व्रत निर्जला रखा जाता है।

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शुभ मुहूर्त की यदि बात की जाये तो ज्योतिष शास्त्र के हिसाब से 17 सितंबर को दोपहर 2:14 PM पर अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी और 18 सितंबर दोपहर 4:32 PM पर अष्टमी तिथि समाप्त हो जाएगी। यानी जितिया का व्रत 18 सितंबर 2022 को रखा जाएगा और उसके बाद इस व्रत का पारण 19 सितंबर 2022 को किया जाएगा और 19 सितंबर की सुबह 6:10 AM पर सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करने का शुभ मुहूर्त है।

कैसे रखें जीवित्पुत्रिका व्रत?

  • सबसे पहले व्रत रखने वाली महिला को सूर्योदय से पहले उठना चाहिए उसके बाद नहा धोकर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
  • कपडे पहनने के बाद प्रदोष काल में गया के गोबर से पूजा करने वाली जगह को साफ़ करना चाहिए यानी की पूजा के स्थान पर गाय के गोबर से लिपाई करनी चाहिए ताकि वो जगह पवित्र हो सकें।
  • उसके बाद पूजा के स्थान पर वहां एक पाकड़ की डाल खड़ी कर दें।
  • डाल खड़ी करने के बाद आप शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुशनिर्मित मूर्ति जल के पात्र में स्थापित करें।
  • मूर्ति स्थापित करने के बाद उन्हें दीप, धूप, अक्षत, रोली और लाल और पीली रूई से सजाएं।
  • ऐसा करने के बाद आप उन्हें भोग लगाएं।
  • इस व्रत में मिट्टी या गोबर से मादा चील और मादा सियार की प्रतिमा बनाई जाती है तो आप वो भी बनाएं।
  • उसके बाद दोनों को लाल सिंदूर अर्पित करें।
  • अब पुत्र की प्रगति, लम्बी उम्र, और कुशलता की कामना करें।
  • ऐसा करने के बाद आप बाद व्रत की कथा सुनें या पढ़ें और कथा करने के बाद आरती करें।
  • जितिया व्रत के पूजन में पेड़ा, दूब, खड़ा चावल, 16 गांठ का धागा, इलाईची, पान, सुपारी और बांस के पत्ते आदि भी चढ़ाए जाते हैं।
  • साथ ही जितिया के पूजन में सरसों का तेल और खील भी चढ़ाई जाती है, जिसे बुरी नजर दूर करने के लिए अगले दिन बच्चों के सिर पर लगाया जाता है ऐसा माना जाता है की इससे बच्चों को बुरी नज़र से बचे रहने में मदद मिलती है।
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जीवित्पुत्रिका व्रत रखने का क्या फायदा होता है?

  • जैसा की आप जानते हैं की यह व्रत पुत्र की लम्बी उम्र की कामना के लिए महिलाएं करती है तो इस व्रत को रखने से आपको आपके पुत्र की लम्बी आयु, उसे जीवन में प्रगति मिलें, उसे मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़े, वो हमेशा स्वस्थ रहें, यह सब मिलने में मदद मिलती है।
  • जिन महिलाओं को संतान नहीं होती है या फिर कोई महिला पुत्र प्राप्ति की इच्छा से इस व्रत को रखती है तो इस व्रत को रखने से उनकी इच्छा को पूरी होने में मदद मिलती है।

तो यह है जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 कब है, कैसे रखा जाता है, इस व्रत को रखने के कौन- कौन से फायदे मिलते हैं उससे जुडी सम्पूर्ण जानकारी। यदि आप भी यह व्रत रखते हैं तो आप भी इस व्रत को रख सकते हैं।

Jitiya Fasting 2022