कुंडली मिलान

Kundli Matching, Kundli Milan Report for Marriage

विवाह से पहले क्यों है लड़का लड़की कुंडली मिलान की जरुरत

Kundali Matching Online | Pandit for Kundli Match for Marriage – शादी एक नए जीवन की शुरुआत है, और इस महत्वपूर्ण कदम में कुंडली मिलान का महत्व अत्यधिक है। यह एक विशेषांक है जो दो जीवनसाथीयों की प्यार, सहयोग, दोनों की ग्रहों की स्थिति, आत्मा, गुण, और भविष्य को मिलाकर देखता है। कुंडली मिलान सुखी जीवन की ओर पहुंचने की मार्गदर्शन करती है।

कुंडली मिलाना या अष्टकूट गुण मिलाना बहुत जरूरी होता है। मान लीजिए आप लड़की देखने जाते हैं या लड़का देखने जाते हैं। आप क्या देखते हैं आप चेहरा देखते हैं धन दौलत देखते हैं समाज में लोगों से पूछते हैं जान पहचान के लोगों से पता लगाते हैं। माना लड़का लड़की का ओहदा बहुत अच्छा है। दोनों पढ़े लिखे हैं दोनों कमाते भी अच्छे हैं। पर स्वभाव का पता आप नहीं लगा सकते। स्वभाव का पता तो गुण मिलान के बाद ही पता चलेगा। कुंडली मिलान के बाद ही पता चलेगा।

कोई यह नहीं कहता कि मेरा लड़का बहुत उग्र स्वभाव का है या लड़की में यह दोष है। सब लोग अच्छा-अच्छा ही बोलते हैं। और अच्छाई बुराई का पता शादी के दो-चार साल बाद ही पता चलता है। आपने कभी नहीं देखा होगा कि तलाक 1 महीने के अंदर हो गया। शुरुआत में सब कुछ अच्छा लगता है पर जैसे-जैसे गुण स्वभाव बाहर निकलता है परेशानियां वहीं से शुरू होती है। एक सीधी साधी लड़की का विवाह अगर एक उग्र स्वभाव के लड़के से हो जाए तो क्या होगा।

जब आप कुंडली मिलते हैं तब गुण दोष मिलते हैं गुण दोष अगर मिलता हो तो जिंदगी अच्छी चलती है। इसलिए जब भी अपने बच्चों का विवाह या खुद अपना विवाह तय करें इसके पहले आप कुंडली मिलान जरूर करवाएं। इसमें कोई शर्म की बात नहीं है या मन की कुछ सोचने की बात नहीं है की अगला क्या कहेगा या कहेगी। शुरुआत में ही गुण दोष का पता हो जाने चाहिए। अगर मिलान सही नहीं है तो विवाह नहीं करने चाहिए जिंदगी मे खुशियां तभी आती है जब मन मिलता है जब व्यवहार मिलता है।

कुंडली में गुण मिलान कुंडली मिलान को अष्टकूट मिलान कहते हैं। अष्टकूट मिलान में आठ कूट का मिलान किया जाता है जिससे पता चलता है कौन सा गुण मिल रहा है और कितना मिल रहा है।

आईए जानते हैं टेबल के माध्यम से कौन-कौन से कूट होते हैं और उसका उद्देश्य क्या होता है

Kundli Match for Marriage

कूटउद्देश्य
वर्ण मानसिक अभिरुचियों
वश्यभावनात्मक सामंजस्य
ताराभाग्योदय
योनिप्रणय संबंध
गृहमैत्रीआपसी विश्वास और सहयोग
गणकुटुंब के साथ संबंध
भकूटदांपत्य जीवन में मधुरता
नाड़ीदांपत्य जीवन में स्थिरता
विवाह के लिए अष्टकूट मिलान का टेबल

कुल 36 गुणों में से अगर 18 गुण मिल रहे हो तब भी शादी के लिए गुण मिलान सही होता है कम से कम । अगर 18 से नीचे हो तो विवाह नहीं करने चाहिए। गुण कम और ज्यादा इसलिए होता है किसी में स्कोर ज्यादा होता है और किसी में कम।

मैं यही सलाह दूंगा आप अपने बच्चों की शादी या अपनी शादी बिना कुंडली मिलान बिना गुण मिलान के नहीं करना चाहिए। ताकि वर वधू का भविष्य उज्जवल रहे। खुशियां ही खुशियां आए। कभी किसी चीज की कमी नहीं हो कभी झगड़ा झंझट न हो। या किसी मुश्किल दौर से ना गुजर ना पड़े। शायद हम सब यही चाहते भी हैं।

विवाह में जल्दी बाजी नहीं करें जल्दी बाजी से काम खराब होता है। गुण मिलान करके ही शादी करें।

अगर आप चाहते हैं वर वधू का गुण मिलान कुंडली के माध्यम से सूक्ष्म तरीके से करें तो आप हमसे संपर्क करें। उज्जवल भविष्य के लिए शादी में बिना विघ्न बाधा के लिए जिंदगी में खुशहाली के लिए दांपत्य जीवन की खुशहाली के लिए कुंडली मिलान करना बहुत जरूरी होता है।

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कुंडली मिलान / अष्टकूट गुण मिलान प्रश्नोत्तर

वर वधू कुंडली मिलन की क्या जरूरत है?

वर वधू का कुंडली मिलाने के बाद ही गुण दोष स्वभाव का पता चलता है। कुंडली मिलाने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है। कुंडली मिलान करना बहुत जरूरी होता है

नाड़ी दोष क्या होता है ?

कुंडली में अगर नाड़ी दोष हो तो दांपत्य जीवन में स्थिरता नहीं आती है संतान सुख में भी कमी आती है

बिना कुंडली मिलान के शादी किया जाए तो क्या होगा?

गुण दोष मिलना बहुत जरूरी होता है यह तभी पता चलेगा की कितने गुण मिल रहे हैं और यह कुंडली मिलान के बाद ही पता चलता है।

अगर 18 से कम मिलान कुंडली में हो रहा हो तो क्या होगा?

अगर 18 से कम गुण वर वधू में मिलता है, तो दांपत्य जीवन दुख भरा होता है। कुटुंब के साथ भी रिश्ते सही नहीं रहते हैं। या तो शादी टूटते हैं या शादी में कई सारे समस्या जीवन पर्यंत बना ही रहता है।

कुंडली मिलान कैसे करें?

कुंडली मिलान के लिए वर वधू का नाम जन्मतिथि जन्म समय जन्म स्थान की जरूरत पड़ती है। दोनों के नक्षत्र राशि गुण दोष देखे जाते हैं और मिलान किया जाता है यह वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा।

अगर वर वधू का 36 में से 36 गुण मिल रहे हो तो क्या होता है ?

अगर वर वधू का 36 में से 36 गुण मिल रहे हो तो दोनों का वैवाहिक जीवन दांपत्य जीवन खुशहाल होगा कभी किसी चीज की कमी नहीं होगी दोनों एक दूसरे के पूरक होंगे एक दूसरे को प्यार करेंगे। एक दूसरे का ख्याल रखेंगे जिंदगी में खुशियां ही खुशियां होगी .

Griha Pravesh Muhurat

गृह प्रवेश के पहले क्या करें, नए घर में प्रवेश कैसे करें?

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गृह स्वामी या गृह स्वामिनी को नए घर में जाने से पहले हवन कराने से पहले या वास्तुशांति पूजन के पहले कई बातों का ध्यान रखना होता है ताकि नए घर में खुशियां आये। नया घर आपके लिए शुभ हो। नए घर में आपका परिवार खुशहाल रहे। कभी किसी चीज की कमी नहीं हो। लक्ष्मी का वास हो इज्जत मान प्रतिष्ठा आपका बढ़ता ही जाये। वंश बड़े आपसब लोग निरोग रहें।

गृह प्रवेश मुहूर्त का महत्व और मुहूर्त कैसे निकालें जो आपके लिए अतिशुभ हो।

गृह प्रवेश करना वास्तु शांति पूजा करना या नए घर में जाने का शुभ दिन का चयन करना ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण शुभ कार्य शुभ और सामजिक कार्य है। जहां आपको कई बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है। शास्त्रों और पंचांग के अनुसार नए घर में रहने के लिए उपयुक्त समय का चुनाव करना बड़े ध्यान पूर्वक करने चाहिए। गृह प्रवेश पूजा मुहूर्त का चयन करने के लिए कई तत्वों को विशेष रूप से ध्यान में रखा जाता है। मकान छोटा हो या बड़ा। कोठी हो या फ्लैट आपको विशेष रूप से ध्यान रखना है जैसे कि तिथि, दिन, नक्षत्र, लग्न, और ग्रहों की स्थिति।

गृह प्रवेश मुहूर्त शुभ होना क्यों जरुरी होता है?

एक शुभ मुहूर्त चुनने का उद्देश्य यह होता है कि नए घर में रहने से संबंधित सभी कार्यों में सौभाग्य और समृद्धि हो। नए घर में खुशियाँ हो, परिवार के सदस्य खुश रहे और कभी किसी चीज की कमी नहीं हो स्वस्थ और दीर्घाऊ हो।

गृहप्रवेश मुहूर्त कैसे निकालें?

मुहूर्त का चयन रेखांकन, ज्योतिष, और पंचांग के आधार पर किया जाता है। यहां आपको विभिन्न तत्वों का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है, हम आपके लिए उचित मुहूर्त निकाल कर देंगे आप अपना डिटेल्स भेजिए हम आपके नाम और राशि के अनुसार मुहूर्त निकालेंगे जो आपके लिए और आपके परिवार के शुभ होगा। क्यों की कई लोग गलत मुहूर्त में गृह प्रवेश करते हैं उसी से ज़िंदगी समस्याएं आती है। पारिवारिक वातावरण कलहपूर्ण, तनावपूर्ण रहता है और समृद्धि नहीं आती है।

गृह प्रवेश करना कब शुभ होता है, गृह प्रवेश के लिए शुभ नक्षत्र, शुभ तिथि, शुभ दिन कौन-कौन से होते हैं?

वारसोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार
नक्षत्रउत्तरा भाद्रपद, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तरा आषाढ़, रोहिणी, मृगशिरा, चित्रा, अनुराधा, रेवती
तिथिद्वितीया, तृतीया, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी
लग्नद्वितीया, पंचमी, अष्टमी, एकादशी उत्तम है। तृतीया, षष्ठी, नवमी, द्वादशी मध्यम है।
लग्न-शुद्धिलग्न से प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, नवमी, दशमी, एकादशी स्थानों में शुभ ग्रह शुभ होते है।
तृतीया, षष्ठी, एकादशी स्थानों में पापग्रह शुभ होते है।
चतुर्थी, अष्टमी स्थानों में कोई ग्रह नहीं होना चाहिए।

अगर आपको मुहूर्त जल्दी में करने हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखकर और मुहूर्त चक्र के अनुसार अपनी कुंडली में ग्रहों की स्थिति को देखकर गृह प्रवेश की तिथि का चयन कर सकते हैं।

संक्षेप में जानते हैं गृह प्रवेश करने से पहले नए घर में जान ऐसे पहले गृह स्वामी को किन किन बातों का ध्यान रखना है ताकि नया घर उनके लिए खुशियां लेकर आये।

  • सबसे पहले गृह प्रवेश के लिए दिन, तिथि, वार एवं नक्षत्र को ध्यान में रखते हुए, गृह प्रवेश की तिथि और समय का निर्धारण किया जाता है। गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान जरुर रखें। एक विद्वान ब्राह्मण की सहायता लें, जो विधिपूर्वक मंत्रोच्चारण कर गृह प्रवेश की पूजा को संपूर्ण करता है।
  • माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ माह को गृह प्रवेश के लिए सबसे सही समय बताया गया है। आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, पौष इसके लिहाज से शुभ नहीं माने गए हैं। फिर भी मुहूर्त करना जरुरी हो तो शुभ संयोग में मुहूर्त निकाल सकते हैं जो अतिशुभ होता है।
  • रविवार और मंगलवार के दिन भी गृह प्रवेश नहीं किया जाताहै। सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार के दिन गृह प्रवेश किया जाता है होते हैं।

गृहप्रवेश पूजन सामग्री

  • पूजन सामग्री-कलश, नारियल, दीपक, फूल शुद्ध जल, कुमकुम, चावल, अबीर, गुलाल, धूपबत्ती, पांच शुभ मांगलिक वस्तुएं, आम या अशोक के पत्ते, पीली हल्दी, गुड़, चावल, दूध आदि।

नए घर में प्रवेश के पहले इन बातों का भी ध्यान रखना जरुरी होता है।

  • सबसे पहले घर को साफ़ सुथरा करें, कोई भी कबाड़ हो तो सबसे पहले बाहर निकालें। ये सब गृह प्रवेश के पहले ही कर लें।
  • गृह प्रवेश वास्तु शांति पूजा के लिए दीपक आसपास के मंदिर से जलाकर लाने चाहिए। विधि विधान के साथ मंत्रो उच्चारण के साथ नए घर में आने चाहिए।
  • मंगल कलश के साथ नए घर में प्रवेश करना चाहिए।
  • घर को बंदनवार, रंगोली, फूलों से सजाना चाहिए।
  • मंगल कलश में शुद्ध जल भरकर उसमें आम या अशोक के आठ पत्तों के बीच नारियल रखें।
  • मंगल कलश व नारियल पर कुमकुम से स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं ये अतिशुभ होता है।
  • नए घर में प्रवेश के समय पांच मांगलिक वस्तुएं नारियल, पीली हल्दी, गुड़, चावल, दूध अपने साथ लेकर प्रवेश करना चाहिए।
  • भगवान गणेश की मूर्ति, दक्षिणावर्ती शंख, श्री यंत्र, गाय बछड़ा समेत, कुबेर जी की प्रतिमा या फोटो को गृह प्रवेश वाले दिन घर में ले जाना चाहिए। गाय बछड़ा उपलब्ध नहीं हो तो आप मूर्ति ही ले आएं कामधेनु की बछड़े के साथ।
  • अपने रीती रिवाज के साथ ढोल के साथ, मंगल गीतों के साथ नए घर में प्रवेश करना चाहिए।
  • सबसे पहले पुरुष दाहिना पैर तथा स्त्री बांया पैर बढ़ा कर नए घर में प्रवेश करें।
  • इसके बाद भगवान गणेश का ध्यान करते हुए गणेश जी के मंत्रों के साथ घर के ईशान कोण में या फिर पूजा घर में कलश की स्थापना करें।
  • रसोई घर में भी पूजा करनी चाहिये। चूल्हे, पानी रखने के स्थान और स्टोर आदि में धूप, दीपक के साथ कुमकुम, हल्दी, चावल आदि से पूजन कर स्वास्तिक चिन्ह बनाना चाहिए।
  • रसोई में पहले दिन गुड़ व हरी सब्जियां रखना शुभ माना जाता है।
  • चूल्हे को जलाकर सबसे पहले उस पर दूध उफानना चाहिए। खीर या मिष्ठान बनाकर उसका भोग लगाना चाहिए।
  • घर में बने भोजन से सबसे पहले भगवान को भोग लगाएं।
  • गौ माता, कौआ, कुत्ता, चींटी आदि के निमित्त भोजन निकाल कर रखें।
  • ब्राह्मण को भोजन कराएं या फिर किसी गरीब भूखे आदमी को भोजन करा दें। इससे घर में सुख, शांति व समृद्धि आती है व हर प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं।

आप किसी योग्य पंडित जी को बुलाकर विधि विधान से नए घर में प्रवेश करें। या खुद से कर रहें हैं तो ऊपर दी गयी बातों का ध्यान रखें पर इस बात का ध्यान रखने हैं आपको विधि विधान और गृह प्रवेश नियमों के अनुसार ही पूजा पाठ कराएं वो भी मुहूर्त निकालकर।

मुहूर्त निकालना चाहते हैं? तो हम आपके नाम और राशि के अनुसार मुहूर्त निकाल कर देंगे। जो आपके लिए शुभ होगा क्योंकि हर एक इंसान का मुहूर्त अलग-अलग होता है। मुहूर्त चक्र के अनुसार आपके लग्न के अनुसार आपके राशि के अनुसार जब तक मुहूर्त नहीं निकाला जाए तब तक शुभम नहीं होता है। मात्र 251 का डोनेशन करें और कुछ घंटों का इंतजार करें मुहूर्त आपके व्हाट्सएप पर देते हैं। कोई प्रश्न है आपके मन में या डोनेशन के बाद कुछ और कहना चाहते हैं तो आप व्हाट्सएप पर संपर्क कर सकते हैं। व्हाट्सएप नंबर है, 9599 – 24 – 84 – 66

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घर में खुशहाली के उपाय

गृह प्रवेश के बाद घर में सुख शांति के लिए

After Griha Pravesh Remedies for Vastu, घर में खुशहाली के उपाय, Vastu, Upay, New House, गृह प्रवेश के बाद नए घर में सुख शांति और निरोगी काया के लिए। घर के सदस्यों की खुशहाली के लिए। वास्तु दोष मिटाने के लिए . बुरी नजर से बचने के लिए समृद्धि लाने के लिए। आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा अगर आप नए घर में शिफ्ट होने के बाद यह छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो घर में खुशियां ही खुशियां होगी।

तरक्की होगी, व्यापार बढ़ेगा, बच्चे पढ़ेंगे, रोग मुक्त रहेंगे, सामाजिक प्रतिष्ठा और कद बढ़ेगा। लक्ष्मी का वास होगा। कभी किसी चीज की कमी नहीं होगी। लोगों से प्यार और इज्जत आपको मिलेगा।

जब हम नए घर में जाते हैं तो हम सभी चाहते हैं कि नया घर आपकी जिंदगी में खुशियां भर दे। ऐसा आप भी चाहते हैं? तो बस यह काम करना होगा आपको।

१. नए घर में अगर बालकनी है छत है तो गमले में सब्जी का पौधा जरूर लगाए। सब्जी का पौधा लगाने से पॉजिटिव एनर्जी आएगी नेगेटिव एनर्जी दूर होगी घर परिवार में खुशियां बनी रहेगी। अपने बालकनी को हरा-भरा बना दें। जितना आपका पौधा आएगा उतना ही आपके घर खुशियां आएगी।

२. रोजाना घी का दीपक शाम को घर के मंदिर में मंदिर में जरूर जलाएं और अपने सभी कमरों में और बालकनी में दीपक जरूर दिखाएं। इससे पॉजिटिव ऊर्जा आएगी और लक्ष्मी का वास होगा।

३. शनिवार को मुख्य दरवाजे पर नींबू और मिर्ची जरूर टांगे इससे नजर दोष नहीं लगेगा और घर में खुशहाली आएगी।

४. नए घर में पुराने कबाड़ नहीं रखें जितना जल्दी हो सके घर से निकाल दें। किसी भी कोने में कबाड़ इकट्ठा नहीं होने दे।

५. भूल कर भी मकड़ी के जले नहीं लगने दे। जाले तुरंत साफ़ करें। कॉकरोच नहीं रहने दे। यह सब आपकी खुशियां छीन लेगा।

६. नए घर में जुटे चप्पल बिखर कर नहीं रखें। मुख्य दरवाजे के बाहर भी खुले में चप्पल जूते रखने से बचें।

७. घर में कहीं भी सूखे फूल और पत्ते टांगे नहीं रहने दे। घर के साफ सफाई का विशेष ख्याल रखें।

बातें बहुत छोटी है और बड़े काम की है। घर में समृद्धि लाना चाहते हैं तो छोटी बातों को ही ध्यान में रखें। इससे आपका मन भी शांत रहेगा घर में बरकत होगी लक्ष्मी का वास होगा।

नजर लगने का एक पुराना और महत्वपूर्ण विश्वास

नजर लगने का एक पुराना और महत्वपूर्ण विश्वास

नजर लगने का विचार भारतीय समाजों में बहुत प्राचीन है और यह धार्मिक और आध्यात्मिक तात्त्वों के साथ जुड़ा हुआ है। इसे अशुभ माना जाता है और यह किसी के बुरे मंत्र या नजर के कारण होने वाले प्रभाव की ओर संकेत करता है। लोग इसे उसकी समृद्धि, स्वास्थ्य, और सुख के लिए हानिकारक मानते हैं।

नजर लगने के लक्षण:

नजर लगने के प्रभाव अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

  1. शारीरिक और मानसिक रोग: नजर लगने का परंपरागत मानने के अनुसार, यह शारीरिक और मानसिक रोगों के प्रकोप का कारण बन सकता है।
  2. धन का नुकसान: धन और आर्थिक स्थिति में नुकसान हो सकता है, जैसे कि वित्तीय परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
  3. घर में झगड़े: नजर लगने के कारण परिवार के सदस्यों के बीच झगड़े और विवाद हो सकते हैं, जिससे परिवार का वातावरण बिगड़ सकता है।
  4. बदलते वातावरण: नजर लगने का प्रभाव घर के चारों ओर के वातावरण में भी दिख सकता है, जैसे कि खो जाना, चोरी होना, या घर की वास्तुओं का कुछ खो जाना।

नजर लगने से बचाव:

नजर लगने से बचने के लिए कई सुरक्षा उपाय हैं जो लोग अपनाते हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

  • धार्मिक आयातें और मंत्र: धार्मिक आयातों और मंत्रों का प्रयोग नजर लगने से बचाव के लिए किया जाता है। लोग मंत्रों को अपने घरों में पढ़ते हैं और इनका प्रयोग अपने और परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के लिए करते हैं.
  • अच्छे लोगों के साथ रहना: यह एक विशिष्ट विश्वास है कि अच्छे और सकारात्मक लोग नजर लगने से बच सकते हैं, इसलिए लोग अच्छे दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताने का प्रयास करते हैं।
  • अपनी ख्वाहिशों को पूरा करना: यह विश्वास किया जाता है कि आप नजर से बच सकते हैं अगर आप अपनी ख्वाहिशों को पूरा करते हैं और अपने लक्ष्यों को हासिल करते हैं।
  • घर को साफ-सुथरा रखना: घर को साफ-सुथरा और सुरक्षित रखने के लिए ध्यान देना भी एक तरीका हो सकता है जिससे नजर लगने से बचा जा सकता है.

नजर लगने से बचने के उपायों का उचित धार्मिक और सामाजिक प्रायोग जैसे कि सवाधानी और पूर्णता के साथ किया जाना चाहिए। यदि किसी को लगता है कि उनके ऊपर नजर लग गई है, तो वे धार्मिक गुरु से सलाह ले सकते हैं ताकि वे उपयुक्त समाधान प्राप्त कर सकें।

समापन:

नजर लगने का विचार भारतीय समाजों में महत्वपूर्ण है, और यह विश्वास किया जाता है कि इसका प्रभाव शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक स्वास्थ्य पर हो सकता है। इसलिए, लोग नजर से बचने के उपायों का पालन करते हैं और अपने जीवन को सुरक्षित और सुखमय बनाने का प्रयास करते हैं।

अमावस्या व्रत

अमावस्या व्रत करने के फायदे

अमावस्या व्रत, हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण होता है और इसे विशेष धार्मिक और सामाजिक उपायों के रूप में माना जाता है। अमावस्या व्रत करने के कई फायदे हो सकते हैं, जो हिन्दू शास्त्रों और परंपराओं में उल्लिखित हैं:

अमावस्या व्रत क्या है?

अमावस्या व्रत हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक व्रत है जो हर मास की अमावस्या को आचरण किया जाता है। इस व्रत को करने से मान्यता है कि व्यक्ति की अंतर्यात्मा को पवित्र करके कल्याणकारी फल प्राप्त होते हैं। यह व्रत विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है और श्रद्धा भाव से अचरण किया जाता है।

अमावस्या व्रत करने के फायदे

1. मानसिक शांति: अमावस्या व्रत करने से व्यक्ति की आत्मा शांति प्राप्त करती है। यह व्रत व्यक्ति को मन की शांति और चैन प्रदान करता है।

2. धन और संपत्ति: अमावस्या व्रत को करने से धन और संपत्ति में वृद्धि होती है। यह व्रत धन और संपत्ति की प्राप्ति में सहायता करता है।

3. स्वास्थ्य: अमावस्या व्रत करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य सुधारता है। यह व्रत शरीर के रोगों से बचाव करता है और स्वस्थ रहने में मदद करता है।

4. परिवार में सुख और समृद्धि: अमावस्या व्रत को करने से परिवार में सुख और समृद्धि होती है। यह व्रत परिवार के सदस्यों के बीच प्यार और समझौता बढ़ाता है।

5. सफलता: अमावस्या व्रत करने से व्यक्ति को सफलता मिलती है। यह व्रत व्यक्ति को सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ने में सहायता करता है।

संक्षेप में

अमावस्या व्रत करने से मान्यता है कि व्यक्ति की आत्मा को शुद्ध करके उसे अनंत सुख और समृद्धि मिलती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बना रहता है और उसे सफलता मिलती है। अमावस्या व्रत का आचरण व्यक्ति के परिवार में सुख, समृद्धि और प्रेम को बढ़ाता है।

रुद्राक्ष

रुद्राक्ष का माला पहनने के क्या लाभ होते हैं

रुद्राक्ष माला पहनना हमारे जीवन में क्या लाभ प्रदान करता है? इस वेबसाइट पर हम रुद्राक्ष के महत्व, धारण करने का तरीका, और इसके विभिन्न आध्यात्मिक और शारीरिक फायदे की जानकारी साझा करेंगे। आइए, जानिए कैसे रुद्राक्ष माला आपके जीवन को सकारात्मक दिशा में परिवर्तित कर सकती है।

रुद्राक्ष का माला पहनने के क्या लाभ होते हैं

रुद्राक्ष माला का उपयोग धार्मिक और आध्यात्मिक प्रयोजनों के लिए किया जाता है। यह एक प्रकार की माला होती है जिसमें रुद्राक्ष बीज (सीड्स) का उपयोग किया जाता है, जो एक प्राकृतिक धातु होती है। रुद्राक्ष का वृक्ष, जिसका वैज्ञानिक नाम “Elaeocarpus ganitrus” है, भारत, नेपाल, इंडोनेशिया और आगे भी कुछ देशों में पाया जाता है। रुद्राक्ष के बीज का उपयोग आध्यात्मिक और औषधीय गुणों के लिए किया जाता है।

रुद्राक्ष एक प्राकृतिक धार्मिक उपहार है जिसे हमारे द्वारा अपने शरीर, मन और आत्मा की सुरक्षा और संतुलन का प्रतीक माना जाता है। इसे हमेशा पहनने से रुद्राक्ष माला के विशेष गुण और फायदे होते हैं जो हमें आत्मिक और शारीरिक रूप से शक्ति प्रदान करते हैं। यहां हम रुद्राक्ष माला पहनने के कुछ महत्वपूर्ण लाभों के बारे में चर्चा करेंगे।

1. स्वास्थ्य के लिए लाभदायक

रुद्राक्ष माला को पहनने से हमारे शरीर में शक्ति और ऊर्जा का एक संचार होता है जो हमें अच्छी सेहत और व्यायाम की आवश्यकता से मुक्ति दिलाता है। यह हमारे शरीर के अंगों की मांसपेशियों को तंदुरुस्त रखने में मदद करता है और रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है।

2. मन की शांति के लिए

रुद्राक्ष माला पहनने से मन की शांति और स्थिरता प्राप्त की जा सकती है। इसमें मौजूद धार्मिक और आध्यात्मिक महत्वपूर्णता हमारे दिमाग को शांत करने और उसे ध्यानावस्था में लाने में मदद करती है। यह हमें स्थितियों के लिए सामर्थ्य और धैर्य प्रदान करता है और मन को चिंताओं और तनाव से दूर रखने में मदद करता है।

3. स्वर्णिम भविष्य के लिए

रुद्राक्ष माला पहनने से हमें स्वर्णिम भविष्य की ओर एक मार्ग प्राप्त हो सकता है। यह हमारे जीवन में समृद्धि, सफलता और धन आपूर्ति को आकर्षित करने में मदद करता है। यह हमें अवसरों को पहचानने, खुद को व्यावसायिक और व्यक्तिगत स्तर पर विकसित करने में मदद करता है।

इस प्रकार, रुद्राक्ष माला पहनने के कई लाभ होते हैं जो हमारे शरीर, मन और आत्मा के विकास को प्रोत्साहित करते हैं। यह धार्मिक और आध्यात्मिक संबंधों को मजबूत करने और हमें अपने स्वास्थ्य, मन और भविष्य के लिए संतुलन प्रदान करने में मदद करता है। यदि आप भी रुद्राक्ष माला का उपयोग करने का विचार कर रहे हैं, तो यह आपके लिए एक बहुत ही शुभ और उपयोगी उपहार साबित हो सकता है।

Shubh Muhurat

मुहूर्त करना जरुरी है पर मुहूर्त नहीं है तब क्या करें

मुहूर्त हमेशा मुहूर्त चक्र के अनुसार ही करने चाहिए तभी आपका कार्य शुभ होता है। मुहूर्त की तिथियाँ बहुत कम होती है इसलिए कई लोगों के लिए ये संभव नहीं हो पाता है इंतज़ार करना। तो शास्त्रों के अनुसार फिर क्या करने चाहिए ताकि कार्य और मुहूर्त शुभ हो। आपको भी उतने ही फायदे मिले नए कार्य करने में जो एक सही मुहूर्त में कार्य शुरू होता है। अब आपके मन में चल रहा होगा कि सही मुहूर्त क्या होता है? जैसे गृह निर्माण का महीना जो शुभ है माध, फाल्गुन, बैसाख, कार्तिक मुहूर्त चक्र के अनुसार आप इन्हीं महीनों में शुभ नक्षत्र और तिथि में ही घर बनाने का कार्य शुरू कर सकते हैं। ऐसा ही गृह प्रवेश के लिए भी होता है। ऐसा ही शादी विवाह के लिए होता है। कहा जाता है जब तक भगवान् भोलेनाथ की शादी नहीं हो तब तक शादी विवाह नही करने चाहिए यानि शिवरात्रि के बाद से ही विवाह शुरू होने चाहिए। पर आप लोगों को भी पता है आजकल विशेष मुहूर्त निकालकर पुरे साल शादी विवाह होता है।

कुछ ऐसे विशेष शुभ-अशुभ समय आता है, जहाँ आप शुभ कार्य नहीं करते हैं। जैसे की देवशयन, तारा अस्त, गुरु अस्त, पंचक, मलमास, या कोई और अशुभ समय। पर कई लोग लंबा इंतज़ार नहीं कर सकते मुहूर्त जल्दी करने होते हैं जैसे की देवशयन चार महीने के लिए होता है पुरषोतम मास या अधिक महीना एक महीना और भी ज्यादा हो जाता है। ऐसे कई और समय आता है जहाँ पर आपको शुभ कार्य करने की मनाही होती है। तो ऐसे समय में क्या करें मुहूर्त का चुनाव कैसे करें।

फिर आपको क्या करने चाहिए ताकि आपका कार्य शुभ हो।

आपको विशेष योग में मुहूर्त करने चाहिए जो अतिशुभ होता है और इसमें ना भद्रा लगता है ना गुरु-शुक्र अस्त, देवशयन, पुरुषोत्तम माह के दोषों का भी विचार नहीं किया जाता है। तो वो कौन कौन से मुहूर्त होते है जो आपके लिए अतिशुभ हो।

स्वयंसिद्ध मुहूर्त : ये मुहूर्त मुहूर्तशास्त्रीय या मुहूर्त चक्र के विधि निषेध के बंधन से सर्वथा मुक्त है। इसमें किसी भी दोष का विचार नहीं किया जाता है इस योग की शक्ति अद्भुत होती है। ये है:- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अक्षय तृतीया, विजयादशमी, धनतेरस, दीपावली और वसंतपंचमी इन तिथियों में आप मुहूर्त कर सकते हैं ये हमेशा ही शुभ होता है।

सर्वार्थसिध्दि योग और अमृत सिध्दि योग

जैसा कि उनके नाम से ही स्पष्ट है इन योगों के समय कोई भी शुभ कार्य किया जाए तो वह सफल होता है। यात्रा, गृह प्रवेश, नूतन गृह प्रवेश, गृह निर्माण आदि सभी कार्यों के लिए इस योग का चयन कर सकते हैं अगर कुछ ऐसे योग जो शुभ नहीं होते हैं और उसी समय आपको मुहूर्त करना पड़ रहा हो तो जैसे गुरु अस्त शुक्र अस्त, मलमास, अधिकमास या देवशयन तो आपको स्वयंसिद्धि योग का आश्रय लेना चाहिए।

ध्यान रहे गुरुवार वाले अमृत सिद्धि योग जिन्हें गुरुपुष्यामृत योग भी कहा जाता है के समय विवाह, मंगलवार वाले अमृत सिद्धि योग के समय नए घर में प्रवेश, तथा शनिवार वाली अमृत सिद्धि योग के समय यात्रा नहीं करना चाहिए। शेष सभी कार्यों के लिए इन्हें निसंकोच प्रयोग में लाएं।

रवि योग

रवि योग भी सर्वार्थ सिद्धि योग की तरह ही है जो सभी कार्यों के लिए शुभ माने जाते हैं। रवि योग सभी अशुभ दिन को नष्ट करने की अद्भुत शक्ति रखता है।

त्रिपुष्कर योग

शास्त्रों के अनुसार इस योग में संपन्न किया गया या घटित कोई शुभ कार्य अथवा कोई शुभ अशुभ घटना कालांतर में श्री पुनीत हो जाती है यानी कि 3 गुना हो जाता है इसमें बहुमूल्य वस्तुओं की खरीदारी जरूर करनी चाहिए जैसे भूमि आभूषण गाड़ी इत्यादि।

द्विपुष्कर योग

यह योग त्रिपुष्कर युगों की ही भांति शुभाशुभ सभी घटनाओं को द्विगुणित करते हैं। द्विपुष्कर योग भी आप शुभ कार्य के लिए कर सकते हैं यह भी बहुत शुभ होता है।

यह सारी योग विशेष नक्षत्रों तिथि वार के संयोग से बनता है। आप इस दौरान शुभ कार्य कर सकते हैं पर समय का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है कि जो शुभ समय है उसी में शुभ कार्य होने चाहिए। आप भी शुभ कार्य के लिए सोच रहे हैं तो संपर्क करें हम आपके लिए मुहूर्त निकाल कर देंगे कि कौन सा आपके नाम राशि के अनुसार शुभ होगा जो आपकी जिंदगी को खुशहाल करने का काम करेगा।

हनुमान चालीसा

हनुमान चालीसा पढ़ने के क्या फायदे होते हैं

अगर आप हिंदू हैं, भगवान में आस्था है, सनातन धर्म में आस्था है, अपने देवी-देवताओं में आस्था है तो आप भी पूजा पाठ धर्म-कर्म चालीसा पाठ में विश्वास रखते होंगे। आज हम यहां पर संकटमोचक, वायुपुत्र, कृपा निधान, बजरंगबली हनुमान के चालीसा पाठ के महत्व के बारे में आप सभी को बताने जा रहे हैं।

हिंदू हनुमान चालीसा का पाठ करना क्यों जरूरी है?

हनुमान चालीसा पढ़ने का मान्यता का विशेष महत्व है। आस्था और विश्वास है जो हनुमान जी की भक्ति के लिए प्रयोग किया जाता है। हनुमान चालीसा में वर्णित श्लोकों के माध्यम से अगर आप नियम धर्म से पाठ करते हैं इसके कई सारे फायदे हो सकते हैं।

हनुमान चालीसा का पाठ करने से बजरंगबली के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना जागृत होती है। हनुमान जी के प्रति श्रद्धा और आस्था बढ़ती है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की इच्छा बढ़ती है।

हनुमान चालीसा का पाठ करने से मन में शांति होती है। अगर आप बहुत ज्यादा तनाव में रहते हैं तो हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे तो तनाव कम होगा। आप किसी बात को लेकर परेशान हैं तो हनुमान चालीसा का पाठ करने से आपके परेशानी दूर होगी मैं रास्ते बनेंगे।

हनुमान जी की कृपा से मन की चंचलता और चिंताओं से मुक्ति मिलती है ताकि आप बिना किसी बाधा के अपने कार्य को अच्छे से कर सकते हैं। अपने आप में विश्वास और स्थिरता आएगी। हनुमान चालीसा का पाठ करने से किसी भी कार्य को पूरा करने का दृढ़ निश्चय पैदा होता है। और आप अच्छे कार्य की ओर जाने लगते हैं।

हनुमान चालीसा पढ़ने से व्यक्ति को शक्ति और सामर्थ्य की प्राप्ति होती है जो बड़ी से बड़ी कठिनाइयों को आसानी से पार करके अधिक सामर्थ प्राप्त करता है। हनुमान चालीसा का पाठ करने से अद्भुत क्षमता प्राप्त होती है।

अगर आपने नियम धर्म से हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। तो मन में शांति प्राप्त होगी। भगवान के प्रति आस्था बढ़ेगी, आपके मन में डर चिंता नहीं रहेगा। आप सफलता की ओर पढ़ने में कामयाब होंगे क्योंकि आस्था बहुत बड़ी चीज होती है और आस्था से ही जिंदगी आसान होती है। मन में शांति और विश्वास बढ़ता है।

अगर आप रोजाना पाठ नहीं कर पाते हैं तो कोई बात नहीं पर सप्ताह में 1 दिन हनुमान चालीसा का पाठ आपको जरूर करना चाहिए। इसे हनुमान जी की कृपा आप पर बनी रहेगी आपके परिवार के ऊपर बनी रहेगी। अपने बच्चों को भी प्रेरित करें हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए।

निर्जला एकादशी

निर्जला एकादशी 2023

Nirjala Ekadashi 2023 (निर्जला एकादशी २०२३) : तिथियां कई बार ऐसी हो जाती है जिससे मन में दुविधा पैदा हो जाता है कि व्रत कब है ? आपने देखा होगा कई सारे पर्व त्योहार 1 दिन आगे 1 दिन पीछे हो जाता है। कुछ क्षेत्रों में लोग एक दिन पहले कर लेते हैं कुछ क्षेत्रों में 1 दिन बाद करते हैं। ऐसा होने का कारण होता है उस दिन का तिथि कब से शुरू हुआ और कब तक है।

निर्जला एकादशी 30 मई को है या 31 मई को?

अगर आपके मन में यह प्रश्न उठ रहा है निर्जला एकादशी किस दिन होगा तो आइए जानते हैं विस्तृत जानकारी निर्जला एकादशी के बारे में

1 साल में 24 एकादशी का व्रत होता है। इन सभी एकादशी में निर्जला एकादशी व्रत सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। जेष्ठ मास की गर्मी में निर्जला एकादशी पर निर्जल व्रत रखने पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा आजीवन बनी रहती है। एकादशी का व्रत सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन द्वादशी के सूर्योदय पर समाप्त होता है।

निर्जला एकादशी 2023 मुहूर्त और महत्व

अब आपके मन में यह प्रश्न उठ रहा होगा कि निर्जला एकादशी 2023 कब से कब तक है? पंचांग के अनुसार जेष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 30 मई 2023 को दोपहर 1:07 से शुरू होकर अगले दिन 31 मई 2023 दिनांक बुधवार दोपहर 1:00 बज कर 45 मिनट पर समाप्त होगी।

निर्जला एकादशी 30 को व्रत रखें या 31 मई को ?

हिंदू धर्म पंचांग के अनुसार एकादशी का व्रत उदया तिथि के अनुसार मान्य होता है यानी जिस दिन सूर्य का उदय एकादशी में हो उसी का मान्यता होता है। 30 मई को दोपहर 1:07 से शुरू हो रहा है इसलिए यह उदया तिथि नहीं है। 31 मई को सूर्य उगते हुए एकादशी तिथि है। तो उदया तिथि 31 मई को होगी इस वजह से एकादशी का व्रत निर्जला एकादशी 31 मई को ही रखा जाएगा।

निर्जला एकादशी व्रत करने के क्या-क्या फायदे होते हैं ?

निर्जला एकादशी व्रत करने वाले लोगों का जीवन चाहे वैवाहिक हो परिवारिक हो सामाजिक हो खुशियों से भर जाता है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाओं और पुरुष, धनवृद्धि, तरक्की, खुशहाली, निरोगी काया के लिए निर्जला एकादशी व्रत रखा जाता है। मान्यता है निर्जला एकादशी रखने वाले लोगों को पूरे साल में जितना एकादशी होता है उससे कहीं अधिक पुण्य इस एकादशी को रखने से मिलता है। इसलिए अधिकांश लोग निर्जला एकादशी का व्रत रखते हैं ताकि उनको अधिक से अधिक पुण्य मिल सके।

निर्जला एकादशी के दिन तुलसी में जल अर्पित नहीं करना चाहिए क्योंकि माता तुलसी को विष्णु प्रिया कहां जाता है और इस दिन तुलसी भी निर्जल व्रत करती हैं। साथ ही विष्णु भगवान को अक्षत अर्पित नहीं करनी चाहिए क्योंकि श्री हरि की उपासना में अक्षत यानि चावल वर्जित होता है।

जन्मदिन कैसे बनाएं

जन्मदिन (Birthday) कैसे मनाएं

Hindu How to celebrate Birthday for Baby : हिंदू धर्म के अनुसार जन्मदिन कैसे मनाएं? जन्मदिन पर कैसे करें पूजा पाठ? हिंदू धर्म, हिंदू पंचांग, वेद पुराण के अनुसार।  जन्मदिन चाहे अपना हो या आपके संतान का हो। तरह से मनाएं ताकि भविष्य में सुख समृद्धि और सफलता प्राप्त कराने का योग और अवसर पैदा करता हो। इसलिए हर एक इंसान को जन्मदिन मनाने का जो असली तरीका होता है उसी के अनुसार जन्मदिन मनाने चाहिए। अगर आप हिन्दू हैं और सनातन धर्म विश्वास रखतें हैं और हिन्दू देवी देवता आपके आराध्य हैं। तो आइए जानते हैं जन्मदिन कैसे मनाएं?

हम लोग जिंदगी जीने का सबसे आसान तरीका ढूंढते हैं। और हम लोग वही करना चाहते हैं जो अन्य लोग कर रहे होते हैं इस बात का हमें तनिक भी भय नहीं होता है कि क्या सही है क्या गलत है। अभी तक आप कैसे मना रहे हैं कैसे मनाएंगे इस पर कोई मुझे आपत्ति नहीं है आपको क्या अच्छा लगता है। आप क्या चाहते हैं क्योंकि आप जो चाहेंगे आप वही करेंगे। मैं सिर्फ यहां पर आपको जन्मदिन मनाने के पीछे क्या रहस्य है जन्मदिन पर क्या करना चाहिए यही बात बताने की कोशिश कर रहा हूं। मानना या ना मानना यह आपके हाथों में।

बच्चे का जन्म दिन कैसे मनाएं?

जन्मदिन के शुभ अवसर पर सुबह उठकर सबसे पहले शुद्ध पवित्र जल से बालक को स्नान कराएं उसमें गंगाजल जरूर मिलाएं। सुंदर वस्त्र पहनाकर पूर्व दिशा मुंह होकर माता पिता अपने बच्चे को गोदी में बिठाकर किसी सुयोग्य पंडित जी द्वारा पंचदेव पूजन, नवग्रह पूजन एवं संकल्प पूर्वक छाया दान सहित जन्मदिन पूजन करवाना चाहिए। पूजा के बाद ब्राह्मण भोजन एवं यथाशक्ति दान करें।

जन्मदिन पर तिल का दान वस्त्र का दान अनाज का दान करना बहुत ही शुभ होता है।

पूजन उपरांत श्री मार्कण्डेय, कश्यप, भारद्वाज, गौतम, परशुराम, वशिष्ठ, जिस गोत्र से आप हैं, उस गोत्र के ऋषि मुनि का ध्यान करते हुए उनसे प्रार्थना करें की लंबी आयु और सुख समृद्धि इस बालक के लिए हो। आप सभी श्रेष्ठ जन बालक को स्वास्थ्य एवं दीर्घायु का शुभ आशीष दें।

इस तरह से जन्मदिन मनाने से आपको क्या फायदा होगा ?

आपका बच्चा सनातन धर्म में गहरी आस्था रखेगा। बच्चे में एक अच्छा संस्कार विकसित होगा जो आगे चलकर एक अच्छे इंसान की भूमिका में वह अपने कर्तव्यों का पालन करेगा।

अपने गोत्र के ऋषि मुनि से जब आपका बच्चा आशीर्वाद पाएगा तो दीर्घायु और स्वस्थ रहेगा।

जरा सोचिए, अपने बच्चे के जन्मदिन पर केक काटना मोमबत्ती जलाना अच्छी बात है आप यह भी करते रहे क्योंकि समाज में लोगों ने इस चीज का इतना ज्यादा पैठ बना दिया कि जल्दी छोड़ना मुश्किल है। अगर आप किसी को कहेंगे कि हम यह सब करने वाले नहीं हैं तो पता नहीं लोग आपके बारे में क्या सोचेंगे यही तो लोग आजकल कर रहे हैं। शाम को आप पार्टी मनाएं जन्मदिन पूरे विधि विधान के साथ मनाएं।

बच्चे की खुशी के लिए परिवार की खुशी के लिए आप जो भी करें। पर दिन का शुरुआत आप वैदिक रीति रिवाज हिंदू धर्म के अनुसार ही शुरू करें और जन्मदिन मनाएं।