मुहूर्त करना जरुरी है पर मुहूर्त नहीं है तब क्या करें
मुहूर्त हमेशा मुहूर्त चक्र के अनुसार ही करने चाहिए तभी आपका कार्य शुभ होता है। मुहूर्त की तिथियाँ बहुत कम होती है इसलिए कई लोगों के लिए ये संभव नहीं हो पाता है इंतज़ार करना। तो शास्त्रों के अनुसार फिर क्या करने चाहिए ताकि कार्य और मुहूर्त शुभ हो। आपको भी उतने ही फायदे मिले नए कार्य करने में जो एक सही मुहूर्त में कार्य शुरू होता है। अब आपके मन में चल रहा होगा कि सही मुहूर्त क्या होता है? जैसे गृह निर्माण का महीना जो शुभ है माध, फाल्गुन, बैसाख, कार्तिक मुहूर्त चक्र के अनुसार आप इन्हीं महीनों में शुभ नक्षत्र और तिथि में ही घर बनाने का कार्य शुरू कर सकते हैं। ऐसा ही गृह प्रवेश के लिए भी होता है। ऐसा ही शादी विवाह के लिए होता है। कहा जाता है जब तक भगवान् भोलेनाथ की शादी नहीं हो तब तक शादी विवाह नही करने चाहिए यानि शिवरात्रि के बाद से ही विवाह शुरू होने चाहिए। पर आप लोगों को भी पता है आजकल विशेष मुहूर्त निकालकर पुरे साल शादी विवाह होता है।
कुछ ऐसे विशेष शुभ-अशुभ समय आता है, जहाँ आप शुभ कार्य नहीं करते हैं। जैसे की देवशयन, तारा अस्त, गुरु अस्त, पंचक, मलमास, या कोई और अशुभ समय। पर कई लोग लंबा इंतज़ार नहीं कर सकते मुहूर्त जल्दी करने होते हैं जैसे की देवशयन चार महीने के लिए होता है पुरषोतम मास या अधिक महीना एक महीना और भी ज्यादा हो जाता है। ऐसे कई और समय आता है जहाँ पर आपको शुभ कार्य करने की मनाही होती है। तो ऐसे समय में क्या करें मुहूर्त का चुनाव कैसे करें।
फिर आपको क्या करने चाहिए ताकि आपका कार्य शुभ हो।
आपको विशेष योग में मुहूर्त करने चाहिए जो अतिशुभ होता है और इसमें ना भद्रा लगता है ना गुरु-शुक्र अस्त, देवशयन, पुरुषोत्तम माह के दोषों का भी विचार नहीं किया जाता है। तो वो कौन कौन से मुहूर्त होते है जो आपके लिए अतिशुभ हो।
स्वयंसिद्ध मुहूर्त : ये मुहूर्त मुहूर्तशास्त्रीय या मुहूर्त चक्र के विधि निषेध के बंधन से सर्वथा मुक्त है। इसमें किसी भी दोष का विचार नहीं किया जाता है इस योग की शक्ति अद्भुत होती है। ये है:- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अक्षय तृतीया, विजयादशमी, धनतेरस, दीपावली और वसंतपंचमी इन तिथियों में आप मुहूर्त कर सकते हैं ये हमेशा ही शुभ होता है।
सर्वार्थसिध्दि योग और अमृत सिध्दि योग
जैसा कि उनके नाम से ही स्पष्ट है इन योगों के समय कोई भी शुभ कार्य किया जाए तो वह सफल होता है। यात्रा, गृह प्रवेश, नूतन गृह प्रवेश, गृह निर्माण आदि सभी कार्यों के लिए इस योग का चयन कर सकते हैं अगर कुछ ऐसे योग जो शुभ नहीं होते हैं और उसी समय आपको मुहूर्त करना पड़ रहा हो तो जैसे गुरु अस्त शुक्र अस्त, मलमास, अधिकमास या देवशयन तो आपको स्वयंसिद्धि योग का आश्रय लेना चाहिए।
ध्यान रहे गुरुवार वाले अमृत सिद्धि योग जिन्हें गुरुपुष्यामृत योग भी कहा जाता है के समय विवाह, मंगलवार वाले अमृत सिद्धि योग के समय नए घर में प्रवेश, तथा शनिवार वाली अमृत सिद्धि योग के समय यात्रा नहीं करना चाहिए। शेष सभी कार्यों के लिए इन्हें निसंकोच प्रयोग में लाएं।
रवि योग
रवि योग भी सर्वार्थ सिद्धि योग की तरह ही है जो सभी कार्यों के लिए शुभ माने जाते हैं। रवि योग सभी अशुभ दिन को नष्ट करने की अद्भुत शक्ति रखता है।
त्रिपुष्कर योग
शास्त्रों के अनुसार इस योग में संपन्न किया गया या घटित कोई शुभ कार्य अथवा कोई शुभ अशुभ घटना कालांतर में श्री पुनीत हो जाती है यानी कि 3 गुना हो जाता है इसमें बहुमूल्य वस्तुओं की खरीदारी जरूर करनी चाहिए जैसे भूमि आभूषण गाड़ी इत्यादि।
द्विपुष्कर योग
यह योग त्रिपुष्कर युगों की ही भांति शुभाशुभ सभी घटनाओं को द्विगुणित करते हैं। द्विपुष्कर योग भी आप शुभ कार्य के लिए कर सकते हैं यह भी बहुत शुभ होता है।
यह सारी योग विशेष नक्षत्रों तिथि वार के संयोग से बनता है। आप इस दौरान शुभ कार्य कर सकते हैं पर समय का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है कि जो शुभ समय है उसी में शुभ कार्य होने चाहिए। आप भी शुभ कार्य के लिए सोच रहे हैं तो संपर्क करें हम आपके लिए मुहूर्त निकाल कर देंगे कि कौन सा आपके नाम राशि के अनुसार शुभ होगा जो आपकी जिंदगी को खुशहाल करने का काम करेगा।