अमावस्या व्रत

अमावस्या व्रत करने के फायदे

अमावस्या व्रत, हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण होता है और इसे विशेष धार्मिक और सामाजिक उपायों के रूप में माना जाता है। अमावस्या व्रत करने के कई फायदे हो सकते हैं, जो हिन्दू शास्त्रों और परंपराओं में उल्लिखित हैं:

अमावस्या व्रत क्या है?

अमावस्या व्रत हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक व्रत है जो हर मास की अमावस्या को आचरण किया जाता है। इस व्रत को करने से मान्यता है कि व्यक्ति की अंतर्यात्मा को पवित्र करके कल्याणकारी फल प्राप्त होते हैं। यह व्रत विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है और श्रद्धा भाव से अचरण किया जाता है।

अमावस्या व्रत करने के फायदे

1. मानसिक शांति: अमावस्या व्रत करने से व्यक्ति की आत्मा शांति प्राप्त करती है। यह व्रत व्यक्ति को मन की शांति और चैन प्रदान करता है।

2. धन और संपत्ति: अमावस्या व्रत को करने से धन और संपत्ति में वृद्धि होती है। यह व्रत धन और संपत्ति की प्राप्ति में सहायता करता है।

3. स्वास्थ्य: अमावस्या व्रत करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य सुधारता है। यह व्रत शरीर के रोगों से बचाव करता है और स्वस्थ रहने में मदद करता है।

4. परिवार में सुख और समृद्धि: अमावस्या व्रत को करने से परिवार में सुख और समृद्धि होती है। यह व्रत परिवार के सदस्यों के बीच प्यार और समझौता बढ़ाता है।

5. सफलता: अमावस्या व्रत करने से व्यक्ति को सफलता मिलती है। यह व्रत व्यक्ति को सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ने में सहायता करता है।

संक्षेप में

अमावस्या व्रत करने से मान्यता है कि व्यक्ति की आत्मा को शुद्ध करके उसे अनंत सुख और समृद्धि मिलती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बना रहता है और उसे सफलता मिलती है। अमावस्या व्रत का आचरण व्यक्ति के परिवार में सुख, समृद्धि और प्रेम को बढ़ाता है।

निर्जला एकादशी

निर्जला एकादशी 2023

Nirjala Ekadashi 2023 (निर्जला एकादशी २०२३) : तिथियां कई बार ऐसी हो जाती है जिससे मन में दुविधा पैदा हो जाता है कि व्रत कब है ? आपने देखा होगा कई सारे पर्व त्योहार 1 दिन आगे 1 दिन पीछे हो जाता है। कुछ क्षेत्रों में लोग एक दिन पहले कर लेते हैं कुछ क्षेत्रों में 1 दिन बाद करते हैं। ऐसा होने का कारण होता है उस दिन का तिथि कब से शुरू हुआ और कब तक है।

निर्जला एकादशी 30 मई को है या 31 मई को?

अगर आपके मन में यह प्रश्न उठ रहा है निर्जला एकादशी किस दिन होगा तो आइए जानते हैं विस्तृत जानकारी निर्जला एकादशी के बारे में

1 साल में 24 एकादशी का व्रत होता है। इन सभी एकादशी में निर्जला एकादशी व्रत सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। जेष्ठ मास की गर्मी में निर्जला एकादशी पर निर्जल व्रत रखने पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा आजीवन बनी रहती है। एकादशी का व्रत सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन द्वादशी के सूर्योदय पर समाप्त होता है।

निर्जला एकादशी 2023 मुहूर्त और महत्व

अब आपके मन में यह प्रश्न उठ रहा होगा कि निर्जला एकादशी 2023 कब से कब तक है? पंचांग के अनुसार जेष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 30 मई 2023 को दोपहर 1:07 से शुरू होकर अगले दिन 31 मई 2023 दिनांक बुधवार दोपहर 1:00 बज कर 45 मिनट पर समाप्त होगी।

निर्जला एकादशी 30 को व्रत रखें या 31 मई को ?

हिंदू धर्म पंचांग के अनुसार एकादशी का व्रत उदया तिथि के अनुसार मान्य होता है यानी जिस दिन सूर्य का उदय एकादशी में हो उसी का मान्यता होता है। 30 मई को दोपहर 1:07 से शुरू हो रहा है इसलिए यह उदया तिथि नहीं है। 31 मई को सूर्य उगते हुए एकादशी तिथि है। तो उदया तिथि 31 मई को होगी इस वजह से एकादशी का व्रत निर्जला एकादशी 31 मई को ही रखा जाएगा।

निर्जला एकादशी व्रत करने के क्या-क्या फायदे होते हैं ?

निर्जला एकादशी व्रत करने वाले लोगों का जीवन चाहे वैवाहिक हो परिवारिक हो सामाजिक हो खुशियों से भर जाता है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाओं और पुरुष, धनवृद्धि, तरक्की, खुशहाली, निरोगी काया के लिए निर्जला एकादशी व्रत रखा जाता है। मान्यता है निर्जला एकादशी रखने वाले लोगों को पूरे साल में जितना एकादशी होता है उससे कहीं अधिक पुण्य इस एकादशी को रखने से मिलता है। इसलिए अधिकांश लोग निर्जला एकादशी का व्रत रखते हैं ताकि उनको अधिक से अधिक पुण्य मिल सके।

निर्जला एकादशी के दिन तुलसी में जल अर्पित नहीं करना चाहिए क्योंकि माता तुलसी को विष्णु प्रिया कहां जाता है और इस दिन तुलसी भी निर्जल व्रत करती हैं। साथ ही विष्णु भगवान को अक्षत अर्पित नहीं करनी चाहिए क्योंकि श्री हरि की उपासना में अक्षत यानि चावल वर्जित होता है।

Makar-Sankranti-2023

मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है कब है संक्रांति 2023 में

मकर संक्रांति एक ऐसा त्यौहार है जो देश के लगभग सभी हिस्सों में अलग अलग नाम से बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो इसे संक्रांति कहा जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच के समय को सौर मास कहा जाता है। मकर संक्रांति का त्यौहार जनवरी महीने में आता है तो आइये अब इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं की मकर संक्रांति मनाने का वैज्ञानिक और धार्मिक कारण क्या है साथ ही साल 2023 में मकर संक्रांति कब है।

मकर संक्रांति मनाने का धार्मिक कारण

हिन्दू धर्म में त्यौहारों को मनाने के पीछे कोई न कोई धार्मिक कारण जरूर होता है। और इनकी कारणों व् मान्यताओं के कारण ही इन त्यौहारों को मनाने की परम्परा है। वैसे की मकर संक्रांति का त्यौहार मनाने का सबसे बड़ा कारण यही है की इस दिन सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है। इसके साथ ही इसके अन्य और भी धार्मिक कारण है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन से ही धरती पर अच्छे दिनों की शुरुआत होने वाली है यह माना जाता है। क्योंकि इस दिन से ही सूर्य दक्षिण गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध में गमन करने लगता है। जिससे देवताओं के दिन का आरम्भ शुरू हो जाता है साथ ही इस दिन स्वर्ग का दरवाज़ा भी खुल जाता है। इसीलिए इस दिन आप जो भी दान पुण्य करते हैं वो दान पुण्य अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक फलदायी होता है।

गीता के अनुसार भी महाभारत में भीष्म पितामह में अपनी देह का त्याग करने के लिए भी इसी दिन का चुनाव किया था। साथ ही गीता में यह भी बताया गया है की जो व्यक्ति मकर संक्रांति के शुक्ल पक्ष में देह का त्याग करते हैं उन्हें स्वर्ग में जगह मिलती है। इसके अलावा इस दिन सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं इसीलिए इस त्यौहार को बहुत अधिक धूमधाम से मनाया जाता है।

मकर संक्रांति मनाने का वैज्ञानिक कारण

उत्तरायण मनाने के पीछे दो वैज्ञानिक कारण होते हैं सबसे पहले तो यह की इस दिन के बाद से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं जिससे ठण्ड की वजह से सिकुड़ते लोगो को आराम मिलता है। साथ ही मकर संक्रांति का मनाने का दूसरा वैज्ञानिक कारण यह है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां के पर्व त्योहारों के सम्बन्ध कृषि पर भी निर्भर करते है।

मकर संक्रांति ऐसे समय में आता है जब किसान रबी की फसल लगाकर खरीफ की फसल, धन, मक्का, गन्ना, मूंगफली, उड़द आदि को घर लेकर आते हैं। जिससे किसानों का घर अन्न से भर जाता है। इसलिए मकर संक्रांति पर खरीफ की फसलों के आने पर एक त्यौहार का आनंद मनाया जाता है।

Makar Sankranti 2023 मकर संक्रांति 2023 कब है?

हिन्दू पंचांग के अनुसार, सूर्य 15 जनवरी 2023 की रात्रि 3.02 बजे धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे इसीलिए उदयातिथि के अनुसार मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी 2023 दिन रविवार को मनाया जाएगा।

मकर संक्रांति के किन किन चीजों का सबसे अधिक महत्व होता है?

  • इस दिन किसी पावन नदी में जाकर स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है।
  • मकर संक्रांति के दिन गुड़, तिल, खिचड़ी, घी, कम्बल, नमक आदि चीजों का सबसे अधिक महत्व होता है।
  • संक्रांति के दिन पूजा पाठ का भी बहुत अधिक महत्व होता है।
  • हो सके तो आपको इस दिन किसी न किसी गरीब की मदद जरूर करना चाहिए, कोई जरुरतमंद यदि आपके द्वार आये तो उसे वापिस नहीं लौटाएं।

तो यह हैं मकर संक्रांति 2023 से जुडी जानकारी, साथ ही मकर संक्रांति मनाने के धार्मिक व् वैज्ञानिक कारण क्या हैं उससे जुडी जानकारी, इस दिन पतंग उड़ाने की भी परम्परा है। तो हम आशा करते हैं की आपके लिए मकर संक्रांति का त्यौहार फलदायक व् खुशियां लाने वाला हो।

Makar Sankranti 2023

Diwali 2022 Muhurat

आज का दीवाली मुहूर्त 2022, इस समय पूजा करना शुभ रहेगा

Diwali 2022 Muhurat, Diwali Puja Time, Best Time for Diwali Puja, दिवाली मुहूर्त 2022, पूजा का समय दिवाली 2022, कब करें पूजा, लक्ष्मी गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त कब से कब तक है

दिवाली का शुभ मुहूर्त कब से कब तक है?

आज अमावस्या की तिथि सोमवार 5:28 से शुरू होगी जो कल मंगलवार शाम को 4:19 तक रहेगी। 24 अक्टूबर यानी आज दिवाली का शुभ मुहूर्त 6:54 से लेकर 8:16 तक है। आप इस समय लक्ष्मी गणेश की पूजा कर सकते हैं दिवाली की पूजा कर सकते हैं यह आपके लिए शुभ रहेगा।

दिवाली लक्ष्मी-गणेश पूजा शुभ मुहूर्त- 24 अक्तूबर 2022

आज दिनांक 24 अक्टूबर 2022, लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त – शाम 06:54 से 08:16 मिनट तक
लक्ष्मी पूजन की अवधि- 1 घंटा 21 मिनट

प्रदोष काल – शाम 05:42 से रात 08:16 मिनट तक
वृषभ काल – शाम 06: 54 से रात 08: 50 मिनट तक

आज की अमावस्या तिथि क्यों खास होती है?

1 साल में जितने भी अमावस्या आएं होती है उसमें से कार्तिक अमावस्या सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है क्यों किसी दिन मां लक्ष्मी की पूजा आराधना करके अपने इष्ट का को तो सिद्ध किया ही जाता है शक्ति आराधना के लिए भी अमावस्या सर्वोपरि मानी गई है। आज के दिन ही भगवान राम अयोध्या लौटे थे जिनका स्वागत दीप जलाकर किया गया था।

दिवाली का दिन लक्ष्मी के स्वागत का दिन है हम चारों ओर प्रकाश फैला कर सकारात्मक ऊर्जा को अपने घर में लाते हैं महालक्ष्मी और श्री गणेश की पूजा करके समृद्धि और संपन्नता मांगते हैं।

इसी प्रकार हम आज के दिन अंदर के विकारों के अंधकार को मिटाकर भाईचारा प्रेम सत्य सदाचार रूपी प्रकाश से स्वयं को प्रकाशित करने चाहिए। एक दूसरे को गिफ्ट और मिठाइयां देनी चाहिए ताकि भाईचारा बनी रहे। आज का दिन होता है एक नई शुरुआत करने का इसलिए आज का दिन बहुत खास होता है।

शुभ तिथि डॉट कॉम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए दीपावली की शुभकामनाएं देता है। आपका आने वाला समय आपका आने वाला साल समृद्धि और खुशियां लेकर आए। आप हर्षोल्लास के साथ विधि-विधान के साथ मुहूर्त के साथ आज दीपावली का पूजा करें और खुशियां बांटे।

October 2022 Festival List

अक्टूबर 2022 में आने वाले त्यौहार कौन-कौन से हैं?

साल 2022 में अक्टूबर का महीना व्रत व् त्यौहारों से भरा पड़ा है इस महीने में साल के अंत तक आने वाले सभी त्यौहार इस साल आ जायेंगे। साथ ही इस बार अक्टूबर के महीने में सूर्य ग्रहण भी लगने वाला है। तो आइये अब इस महीने की शुरुआत से लेकर आखिर तक कौन- कौन से त्यौहार व् व्रत आने वाले है उनकी लिस्ट के बार में विस्तार से जानते हैं।

3 अक्टूबर 2022:

3 अक्टूबर 2022 दिन सोमवार को अष्टमी मनाई जाएगी इस दिन घर में कन्या पूजा किया जाता है। कन्या पूजा में घर में छोटी छोटी कन्याओं को बुलाकर उन्हें हलवा, पूरी, चने का भोग लगाने के साथ उपहार भी दिए जाते हैं।

4 अक्टूबर 2022:

4 अक्टूबर 2022 दिन मंगलवार को दुर्गानवमी मनाई जाएगी जो लोग अष्टमी पर कन्या पूजन नहीं करते हैं वो लोग अष्टमी के दिन उपवास रखकर नवमी के दिन कन्या पूजा करते हैं।

5 अक्टूबर 2022:

5 अक्टूबर 2022 दिन बुधवार को दशहरा मनाया जायेगा इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है साथ ही इस दिन कई जगहों पर मेले लगाएं जाते हैं। साथ ही इस दिन रावण, मेघनाथ, कुम्भकरण के पुतले बनाकर जलाएं जाते हैं। जहां पर रामलीला होती है वहां रावण दहन के बाद राम के अभिषेक का कार्यक्रम भी रखा जाता है।

6 अक्टूबर 2022:

6 अक्टूबर 2022 दिन गुरुवार को पापांकुशा एकादशी है इस दिन जो लोग एकादशी का व्रत रखते हैं वो व्रत कर सकते हैं।

7 अक्टूबर 2022:

7 अक्टूबर 2022 दिन शुक्रवार को प्रदोष व्रत किया जायेगा प्रदोष व्रत रखने के बहुत से फायदे मिलते हैं इसीलिए कुछ लोग इस उपवास को करते हैं।

9 अक्टूबर 2022:

9 अक्टूबर 2022 दिन रविवार को शरद पूर्णिमा है यह पूर्णिमा बहुत शुभ मानी जाती है इस दिन दान आदि करने का बहुत अधिक महत्व होता है साथ ही इस पूर्णिमा पर व्रत करने पर बहुत फायदा मिलता है। इस दिन चाँद की एक अलग ही चमक होती है।

13 अक्टूबर 2022:

13 अक्टूबर 2022 दिन गुरुवार को संकष्टी चतुर्थी, गणेश चतुर्थी, करवा चौथ का व्रत है यह व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास रखती है और अपने पति की लम्बी उम्र के लिए करवा माता से प्रार्थना करती है उसके बाद रात को चन्द्रमा को अर्क देने के बाद उनका व्रत सम्पूर्ण होता है।

17 अक्टूबर 2022:

17 अक्टूबर 2022 दिन सोमवार को अहोई अष्टमी का व्रत है यह व्रत महिलाएं अपने बच्चे की लम्बी उम्र, उसके स्वास्थ्य के साथ उसके बच्चे की जिंदगी में कोई मुसीबत नहीं आये इसके लिए करती है। साथ ही जिन महिलाओं को बच्चा नहीं होता है वो महिलाएं इस व्रत को बच्चा पाने की इच्छा से कर सकती है यह व्रत करने से उनकी मनोकामना पूर्ण होती है।

21 अक्टूबर 2022:

21 अक्टूबर 2022 दिन शुक्रवार को रम्भा एकादशी है जो लोग एकादशी के व्रत को हर महीने करते हैं वो इस दिन व्रत कर सकते हैं।

23 अक्टूबर 2022:

23 अक्टूबर 2022 दिन रविवार को प्रदोष व्रत होने के साथ धन त्रयोदशी यानी धनतेरस या धन्वन्तरि जयन्ती भी है इस दिन सोना, चांदी, बर्तन, झाड़ू आदि खरीदना बहुत शुभ माना जाता है और आपके द्वारा ख़रीदे गए सामान की पूजा भी की जाती है।

24 अक्टूबर 2022:

24 अक्टूबर 2022 दिन सोमवार को नरक चतुर्दशी यानी की छोटी दीपावली मनाई जाती है इस दिन घर में दीपक जलाएं जाते हैं और रौशनी की जाती है।

25 अक्टूबर 2022:

24 अक्टूबर 2022 दिन मंगलवार को कार्तिक अमावस्या होने के साथ दीवाली का शुभ त्यौहार है और यह त्यौहार साल का सबसे बड़ा त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन देश के लगभग सभी हिस्सों में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। दीवाली के दिन राम जी का वापिस अयोध्या में आगमन हुआ था और उनके आने की ख़ुशी में सभी ने घी के दीपक जलाएं थे। इसीलिए दीवाली के शुभ दिन पर गणेश लक्षणी जी की विशेष पूजा के बाद घर में दीपक जलाएं जाते हैं और घर में रौशनी की जाती है। साथ ही बच्चे मिठाइयां खाकर, पटाखे जलाकर इस दिन को मनाते हैं।

26 अक्टूबर 2022:

26 अक्टूबर 2022 दिन बुधवार को अन्नकूट यानी गोवर्धन पूजा का दिन हैं इस दिन गोबर से गोवर्धन भगवान् बनाकर उनकी पूजा का विधान है। इस दिन मंदिर आदि में लंगर लगाए जाते हैं जिसमे अन्नकूट का प्रसाद बनाया जाता है।

27 अक्टूबर 2022:

27 अक्टूबर 2022 दिन गुरूवार को भाई बहन के प्यार के प्रतीक भाईदूज का त्यौहार मनाया जायेगा इस दिन बहने अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती है और उनकी लम्बी उम्र की कामना करती है।

28 अक्टूबर 2022:

28 अक्टूबर 2022 दिन शुक्रवार को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी है।

30 अक्टूबर 2022:

30 अक्टूबर 2022 दिन रविवार को छठ पूजा है इस दिन भी पूजा का बहुत महत्व होता है जो लोग छठ पूजा को मनाते हैं वो लोग इस दिन पूजा व् उपवास कर सकते हैं।

कब है सूर्य ग्रहण?

साल 2022 में अक्टूबर महीने साल का दूसरा सूर्य ग्रहण लगने वाला है यह ग्रहण दीवाली के ठीक अगले दिन यानी 25 अक्टूबर को लगेगा। वैसे भारत में दिखाई देने वाला यह पहला सूर्य ग्रहण होगा और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह ग्रहण पूरे चार घंटे और तीन मिनट के लिए लगेगा। साथ ही इसका असर सभी राशियों पर भी देखने को मिलेगा।

यह हैं साल 2022 में अक्टूबर महीने में आने वाले सभी त्यौहार व् व्रत के बारे में जानकारी, और अभी अक्टूबर का महीना ही चल रहा है ऐसे में आपको ऊपर दी गई सभी तारीखों से सभी त्यौहार कब है उसके बारे में जानने में मदद मिलेगी।

October 2022 Festival List

प्रदोष व्रत अक्टूबर 2022

प्रदोष व्रत अक्टूबर 2022 कार्तिक महीने में

Pradosh Vrat October 2022 Date : प्रदोष व्रत अक्टूबर 2022 में कब है, कार्तिक महीने में प्रदोष व्रत की तिथि। प्रदोष व्रत ज्यादा महिलाएं करती है प्रदोष व्रत संतान प्राप्ति के लिए होता है, ऋण मोचन के लिए होता है, सुरक्षा के लिए होता है, मन की शांति के लिए होता है, आरोग्य और आयु वृद्धि के लिए होता है।

प्रदोष व्रत शिवजी के प्रसन्नता और प्रभुत्व की प्राप्ति के लिए किया जाता है। कई महिलाएं बड़ी श्रद्धा से इस व्रत को करते हैं। ताकि उनके परिवार में खुशियां हो शांति हो समृद्धि हो।

प्रदोष व्रत में आप शिव पूजन कर सकते हैं और उनकी कथा करें। उसके बाद सूर्यास्त के समय पुणे स्नान करके भगवान शंकर की कथा और पूजा करें। उसके बाद भोजन करें।

1 महीने में दो प्रदोष व्रत आते हैं, कार्तिक महीने में एक 7 अक्टूबर को और दूसरा 23 अक्टूबर को है एक शुक्ल पक्ष में होता है एक पक्ष में होता है।

अक्टूबर महीने में प्रदोष व्रत कार्तिक शुक्ल पक्ष में 7 अक्टूबर 2022 शुक्रवार को है।

अक्टूबर महीने में प्रदोष व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष 23 अक्टूबर 2022 रविवार को है।

आप भी प्रदोष व्रत करें घर में खुशियां शांति निरोगी काया संतान प्राप्ति का आशीर्वाद भगवान भोलेनाथ से ले। पूजा पाठ नियम धर्म से करना चाहिए समय से करना चाहिए। मन विचलित ना होने दें संयम से काम रखें। उस दिन किसी वाद विवाद में नहीं पढ़े व्रत कर रहे हैं तो सिर्फ व्रत के बारे में ही सोचे। ताकि व्रत के फायदे आपको मिले।

व्रत कभी भी किसी के दबाव में नहीं करें। अपनी श्रद्धा और अपने शरीर की ताकत के अनुसार ही करें।

कलश स्थापना 2022

Ghatsthapana Muhurat 26 September 2022

घटस्थापना / कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है? जरुरी जानकरियां कलश स्थापना के समय जो आपको ध्यान रखने हैं।

मां दुर्गा की उपासना के लिए पूजा पाठ के लिए घट स्थापना, कई लोग इसे कलश स्थापना भी कहते हैं। शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए ताकि मां दुर्गा प्रसन्न हों। इसके साथ साथ इस बात का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। इस सही नियमों का पालन होना चाहिए। कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है जैसे :

कलश या घट की दिशा कौन से होने चाहिए?

कलश स्थापना की दिशा का विशेष रूप से ध्यान रखना होता है गलत दिशा में कलश स्थापना नहीं करना चाहिए। ईशान कोण ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व दिशा देवताओं की होती है। और इसी दिशा में देवी के नाम पर कलश को स्थापित किया जाता है। इसलिए आपको भी उत्तर पूर्व दिशा में ही कलश स्थापना करने चाहिए। कलश स्थापना ईशान कोण में होता है।

कलश स्थापना करते समय इस बात का ध्यान रखना है कि कलर्स का मुंह कभी खुला ना छोड़े उसे किसी चीज से ढक कर रखें। अक्सर नारियल से कलश को ढका जाता है। अगर नारियल नहीं है तो कलर् पर ढक्कन रखकर उस पर चावल भर देना चाहिए।

अखंड ज्योति कहां जलाएं?

माता रानी की अखंड ज्योति कई लोग 9 दिनों तक जलाते हैं अखंड ज्योति हमेशा अग्नि कोण यानी पूर्व दक्षिण दिशा में रखें।

पूजा पर बैठते समय आपका मुंह किस ओर होनी चाहिए?

पूजा करते समय आपका चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा में ही होने चाहिए।

इसके अलावा आपको इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। मां दुर्गा की चौकी या पूजा स्थल के पास गंदगी ना होने दें। हमेशा साफ सफाई का ध्यान रखें। घटस्थापना स्थल के ऊपर अगर कोई अलमारी है खाचाबना हुआ हो तो उसे साफ सुथरा कर दें।

शारदीय नवरात्रि जो 26 सितंबर से लेकर 5 अक्टूबर तक रहने वाला है। पूरे दिन मां दुर्गा की उपासना की जाती है लोग व्रत रखकर मां की आराधना करते हैं। पूरे 9 दिनों तक दीप प्रज्वलित करने का भी विधि विधान है। जब घर में कलश स्थापना हो जाए तो नियमों का खास ध्यान रखा जाता है। खानपान में सादगी रहन-सहन में सादगी जरूरी होता है। लड़ाई झगड़े कला से दूर रहें। और विधि विधान पूर्वक माता रानी का पूजा करें।

शुभ मुहूर्त घट स्थापना के लिए 26 सितंबर 2022

26 सितंबर को कलश स्थापना होगी सुबह 6:28 से लेकर 8:01 तक कलश स्थापना कर सकेंगे। कुल 1 घंटे 33 मिनट की अवधि में ही कलश स्थापना होने चाहिए यह शुभ मुहूर्त है। इसके अलावा आप अभिजीत मुहूर्त भी बहुत शुभ माना जाता है जो कि सुबह 11:54 से लेकर दोपहर 12:42 तक रहेगा।

Shradh 2022 kab hai

श्राद्ध 2022 कब है? श्राद्ध में क्या-क्या नहीं करना चाहिए

हिन्दू धर्म में हम कोई भी पर्व मनाते हैं, कोई भी काम करते हैं, पूजा पाठ करते हैं तो हर एक का अलग अलग महत्व होता है। वैसे ही धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष यानी श्राद्ध का भी बहुत अधिक महत्व होता है। क्योंकि श्राद्ध के दिनों में हम अपने पूर्वजों अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए और पितृ दोष से मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं, पिंड दान करते हैं, दान धर्म के काम करते हैं, आदि। साथ ही ऐसा माना जाता है की पितृ पक्ष के दिनों में हमारे पूर्वज स्वर्ग लोक से धरती लोक पर हमसे मिलने आते हैं, अपना आशीर्वाद हमे देते हैं। लेकिन यदि हम पितृ पक्ष में कुछ नहीं करते हैं तो इससे पितृ दोष लगने की सम्भावना भी बढ़ती है जिससे आपको अपने जीवन में मुश्किलों का सामना भी करना पड़ सकता है।

कब है श्राद्ध यानि पितृ पक्ष 2022?

पितृ पक्ष यानी श्राद्ध भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। श्राद्ध साल 2022 में, 10 सितम्बर 2022 दिन शनिवार से शुरू होगा और 25 सितम्बर 2022 दिन रविवार सर्व पितृ अमावस्या के दिन समाप्त होगा।

पूर्णिमा श्राद्ध :- 10 सितंबर 2022 दिन शनिवार

प्रतिपदा श्राद्ध :- 10 सितंबर 2022 दिन शनिवार

द्वितीया श्राद्ध :- 11 सितंबर 2022 दिन रविवार

तृतीया श्राद्ध :- 12 सितंबर 2022 दिन सोमवार

चतुर्थी श्राद्ध :- 13 सितंबर 2022 दिन मंगलवार

पंचमी श्राद्ध :- 14 सितंबर 2022 दिन बुधवार

षष्ठी श्राद्ध :- 15 सितंबर 2022 दिन गुरूवार

सप्तमी श्राद्ध :- 16 सितंबर 2022 दिन शुक्रवार

अष्टमी श्राद्ध :- 18 सितम्बर 2022 दिन रविवार

नवमी श्राद्ध :- 19 सितंबर 2022 दिन सोमवार

दशमी श्राद्ध :- 20 सितंबर 2022 दिन मंगलवार

एकादशी श्राद्ध :- 21 सितंबर 2022 दिन बुधवार

द्वादशी श्राद्ध :- 22 सितंबर 2022 दिन वीरवार

त्रयोदशी श्राद्ध :- 23 सितंबर 2022 दिन शुक्रवार

चतुर्दशी श्राद्ध :- 24 सितंबर 2022 दिन शनिवार

अमावस्या श्राद्ध :- 25 सितंबर 2022 दिन रविवार

पितृ पक्ष में क्या- क्या नहीं करना चाहिए?

श्राद्ध के दिनों में जहां पितरों को प्रसन्न करके उनसे उनकी कृपा व् आशीर्वाद पाकर जीवन में सुख-समृद्धि आने की मान्यता है वहीं पितृपक्ष में कुछ कामों को करने की मनाही होती है। तो आइए जानते हैं अब जानते हैं की पितृ पक्ष के दौरान क्या नहीं करना चाहिए।

  • पितृ पक्ष के दिनों में ऐसा माना जाता है की आपके पितृ आपसे किसी भी रूप में मिलने आ सकते हैं ऐसे में आपको अपने घर के दरवाज़े पर आये किसी भी व्यक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए। और यदि कोई कुछ मांगने के लिए आये तो उसे खाना खिलाकर, दान दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए।
  • इन दिनों में आपको घर में शांति बनाई रखनी चाहिए और घर में कलह नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है की इससे आपके पितृ नाराज़ हो जाते हैं।
  • पितृ पक्ष के दिनों में न तो आपको दाढ़ी बनाई चाहिए, बाल नहीं कटवाने चाहिए, नए कपडे या अन्य कोई नई चीज नहीं खरीदनी चाहिए, कोई भी नया काम शुरू नहीं करना चाहिए, किसी शुभ काम की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। क्योंकि इन दिनों में ऐसा कुछ भी करना शुभ नहीं माना जाता है।
  • श्राद्ध के दिनों में मास, मदिरा, अंडा, आदि के साथ हो सकें तो प्याज़ लहसुन के सेवन से भी परहेज करना चाहिए।
  • श्राद्ध के दिनों में शारीरिक सम्बन्ध भी नहीं बनाने चाहिए।
  • ऐसा माना जाता है की शाम का समय राक्षसों का समय होता है ऐसे में आपको शाम के समय श्राद्ध का काम नहीं करना चाहिए।

तो यह है श्राद्ध 2022 से जुडी जानकारी, तो आप भी कर दी गई जानकारी के अनुसार तिथि देखकर अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर सकते हैं। और यदि आपको तिथि नहीं पता है, या आप तिथि के दिन किसी कारण श्राद्ध नहीं कर पाएं हैं तो अमावस्या के दिन आप श्राद्ध कर सकते हैं।

Karva Chauth 2022

करवा चौथ 2022 कब है? शुभ मुहूर्त व् पूजा विधि

करवा चौथ का त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह त्यौहार विवाहित महिलाओं के लिए बहुत ही खास होता है। क्योंकि इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत करती है। साथ ही कुँवारी लडकियां भी अच्छे पति की इच्छा को लेकर व्रत रखती है। यह व्रत सूर्योदय से पहले से शुरू हो जाता है और उसके बाद चांद निकलने तक रखा जाता है और उसके बाद चन्द्रमा के दर्शन के पश्चात ही इसको खोला जाता है। तो आइये अब इस आर्टिकल में करवा चौथ से जुडी जानकारी के साथ साल 2022 में करवा चौथ कब है उसके बारे में जानते हैं।

पूजा विधि की जानकारी करवा चौथ के लिए

  • सबसे पहले महिला को सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नहा धोकर सरगी खानी चाहिए। सरगी वह खाना होता है जो एक सास द्वारा अपनी बहु को दिया जाता है। और यह खाना आपको सूरज निकलने से पहले ही खाना होता है। सरगी का नियम ज्यादातर पंजाबी लोगो में होता है अन्य लोग बिना सरगी के बिना ही व्रत करते हैं।
  • उसके बाद महिला को को पूजा दिन बिना खाएं पीए रहना पड़ता है और फिर रात को चन्द्रमा की पूजा के बाद ही यह व्रत खोला जाता है।
  • करवा चौथ की पूजा शाम के समय की जाती है इस दौरान महिला पूरे सोलह श्रृंगार करके तैयार होती है और माँ करवा चौथ की कहानी सुनती है।
  • फिर जब चाँद निकलता है तो छलनी में से महिला चाँद और अपने पति को देखती है और जल अर्पण करती है उसके बाद पुरुष महिला को पानी पिलाता है फिर यह व्रत खोला जाता है।
  • इसके अलावा पुरुष भी इस व्रत को करते हैं साथ ही पुरुष अपनी पत्नी के लिए बेहतरीन तोहफा भी ला सकते हैं।

करवा चौथ शुभ मुहूर्त व् चाँद निकलने का समय

साल 2022 में करवा चौथ 13 अक्टूबर 2022 दिन गुरूवार को है। करवा चौथ का शुभ मुहूर्त यानी की करवा चौथ पूजा मुहूर्त शाम 05:54 से शुरू होकर 07:03 तक है और पूजा के शुभ मुहूर्त की यह अवधि 1 घंटे और 09 मिनट की है और चाँद निकलने का समय रात को 08 बजकर 10 मिनट का है।

करवा चौथ की कहानी

करवा चौथ व्रत की कहानी के अनुसार एक साहूकार के सात बेटे थे और एक बेटी थी और उसका नाम करवा था। एक बार करवा चौथ के दिन उनके घर में करवा चौथ का व्रत रखा गया और यह व्रत उसकी सभी भाभियों और करवा ने भी रखा। उसके बाद बहन को भूखा देखकर जब रात्रि को जब सब भोजन करने लगे तो करवा के भाइयों ने उससे भी भोजन करने का आग्रह किया। लेकिन करवा ने यह कहकर मना कर दिया कि अभी चांद नहीं निकला है और वह चन्द्रमा को अर्घ्य देकर चन्द्रमा की पूजा करने के बाद ही भोजन करेगी।

परन्तु अपनी सुबह से भूखी प्यासी बहन की हालत देखकर भाइयों से रहा नहीं गया। उसके बाद उन भाइयों ने कुछ सोचा और उन भाइयों में से सबसे छोटा भाई एक दीपक दूर एक पीपल के पेड़ में जाकर प्रज्वलित कर आया और अपनी बहन से बोला बहन चाँद निकल आया है और अब आप व्रत तोड़ लो। करवा को अपने भाई की यह चतुराई समझ में नहीं आयी और उसने जल्दी से चन्द्रमा को अर्क देकर खाने का निवाला खा लिया। जैसे ही करवा ने खाने का निवाला खाया तो उसे खाते ही उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला।

उसके बाद करवा अपने पति के शव को लेकर एक वर्ष तक बैठी रही और उसके ऊपर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही। फिर अगले साल आने वाली कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को फिर से आने पर उसने पूरे विधि विधान से करवा चौथ व्रत किया, और चाँद के निकलने के बाद पूजा करके व्रत खोला उसके बाद उसका पति पुनः जीवित हो गया। तभी से इस व्रत को सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत शुभ माना जाता है और हर साल इस व्रत को महिलाएं रखती भी है।

तो यह है करवा चौथ से जुडी जानकारी, साल 2022 में करवा चौथ कब है। इसके अलावा महिलाओं को इस ध्यान रखें की आपदीं ध्यान रखना चाहिए की महिला सुई, कैंची, चाक़ू आदि का इस्तेमाल करने से बचें। इन सभी का इस्तेमाल इस पूजा में वर्जित माना गया है।

Karva Chauth 2022

Holika dehan 2022 v holi puja karne ki vidhi

होली पूजा कैसे करते हैं? होली पूजा मुहूर्त 2022

होली साल की शुरुआत में पड़ने वाला सबसे पहले बड़ा त्यौहार होता है और बसंत माह लगने के साथ ही इस त्यौहार का सभी बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। क्योंकि इस दिन लोग अपने दिलों में खट्टास को दूर करके प्यार से भरे रंगों को शामिल करते हैं। साथ ही रंगो का यह त्यौहार छोटे बड़े, बूढ़े सभी की पहली पसंद होता है।

होली का त्यौहार मनाने से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। जिसमे सभी बुराइयों को जला कर राख करके आने वाले समय में खुशहाली बनी रहें, उम्र लम्बी को इसके लिए कामना की जाती है। आज इस आर्टिकल में हम आपको होली पूजा कैसे करते हैं और होली पूजा 2022 का शुभ मुहूर्त क्या है उसके बारे में बताने जा रहे हैं।

होलिका दहन की पूजा विधि

  • होलिका दहन के दिन पूजा से पहले शाम को स्‍नान करें।
  • उसके बाद होलिका पूजा वाले स्थान पर पूरब या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं।
  • फिर आप वहां पर गाय के गोबर से बनी होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमाएं रख दें।
  • उसके बाद पूजन के लिए फूलों की माला, रोली, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, पांच या सात प्रकार के अनाज, नई गेहूं, साथ में एक लोटा जल आदि पूजा का सामान रख लें।
  • आप चाहे तो पकवान, मिठाईयां, फल आदि भी अर्पित कर सकते हैं।
  • होलिका और प्रह्लाद की पूजा के साथ ही भगवान नरसिंह की भी पूजा करें।
  • उसके बाद होलिका के चारों और सात बार परिक्रमा करें फिर हाथ जोड़कर खुशहाली की कामना करें।
  • यह सब करने के बाद चारों ओर से सूखी लकड़ी, उपलों का ढेर लगाकर होलिका दहन करें।
  • सावधानी का ध्यान रखें की आपको दहन के समय आग से कोई नुकसान नहीं हो।

होली पूजा का शुभ मुहूर्त

साल 2022 में 10 मार्च 2022 से होलाष्टक लगेंगे। साथ ही होलिका दहन होली से एक दिन पहले रात को किया जाता है। ऐसे में इस साल होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 17 मार्च 2022, दिन गुरुवार की रात को किया जाएगा। ओर होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 09:20 बजे से रात 10:31 बजे तक ही यानी कि करीब सवा घंटे तक ही रहेगा। ऐसे में आप समय का ध्यान रखें ओर शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करें। वहीं होलिका दहन के अगले दिन यानी कि 18 मार्च 2022, दिन शुक्रवार को रंगों वाली होली यानी फाग खेली जाएगी।

तो यह है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त व् पूजा विधि से जुडी जानकारी। तो यदि आप भी होलिका दहन करते हैं तो आप शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें ओर समय से पूजा करें।

Holika dehan 2022 v holi puja karne ki vidhi